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मनासा। जब सारी दवाएँ काम करना बंद कर दे तब बड़े-बड़े डॉक्टर भी ये कहते है कि परमात्मा से दुआ कीजिये कि आपका परिजन स्वस्थ हो जाय। जब दवा का दांव भी नही लगता है तब दुआ रूपी दवा मरणासन्न व्यक्ति को भी जीवनदान प्रदान कर देती है। यह बात पर्युषण महापर्व के प्रथम दिवस पर पाँच कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए दूसरे कर्यव्य "साधर्मिक की भक्ति" कि व्याख्या करते हुए परम् पूज्य सौम्ययशा श्रीजी मसा.ने स्थानीय जैन उपाश्रय में आयोजित धर्मसभा में कही। पैथडशाह एवं कुमारपाल राजा की साधर्मिक भक्ति के दृष्टांत देकर उपस्थित समाजजन से आपने प्रेरणा लेने का आग्रह किया। साधर्मिक की भक्ति विशिष्ट प्रकार का कर्तव्य है जो शास्त्रकारों ने बताया कि बड़े पुण्योदय से प्राप्त होती है। धर्मसभा में अपने विचार रखते हुए पूज्य समर्पिता श्रीजी मसा. ने कहा कि भारत पर्वों का देश है यहाँ वर्षभर विभिन्न प्रकार के पर्व आते हैं और हम उन्हें बड़े धूमधाम से मनाते है,ये सारे पर्व लौकिक है हम स्वार्थ के वशीभूत होकर ही इन्हें मनाते है पर जैन धर्म का महापर्व पर्युषण ही एक मात्र ऐसा पर्व है जो अलौकिक एवं लोकोत्तर है,ये निस्वार्थ भाव से आत्म कल्याण के लिए मनाया जाता है यही कारण है कि इसे पर्वाधिराज कहा जाता है। परम् पूज्य अर्पिता श्रीजी मसा. ने बताया कि हमे इन आठ दिवस में पापकर्म नही करने चाहिए। ज्ञानीजन एवं शास्त्रकारों ने इन दिनों के लिए पांच कर्तव्य हमारे लिए बताए है, इन कर्तव्यों का पालन करते हुए हम अपने ह्रदय को शुद्द करें यही भावना भानी है। आपने बताया कि ये आठ दिवस वेशभूषा की दृष्टि से भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है अतः हमें मर्यादित एवं धर्मानुकूल वस्त्र ही धारण करना है। स्थानीय चिंतामणि पार्श्व जिनालय में प्रातः काल से ही पूजा अर्चना के लिए जैन धर्मावलंबियों का तांता लगा था। दोपहर में बालक-बालिकाओं की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें बच्चों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। प्रतिदिन संध्या कालीन प्रतिक्रमण एवं रात्रिकालीन भक्ति का आयोजन भी मन्दिर में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वीभगवंतों की निश्रा में हो रहा है। |
NDA | INDIA | OTHERS |
293 | 234 | 16 |
NDA | INDIA | OTHERS |
265-305 | 200 -240 | 15-30 |